परिवार का कौन सा सदस्य बेच सकता है पैतृक जमीन? 90% लोग नहीं जानते ये कानून Ancestral Property Rights

By Prerna Gupta

Published On:

Ancestral Property Rights

Ancestral Property Rights – भारत में ज़मीन और प्रॉपर्टी के झगड़े आम बात हैं, खासकर जब बात पैतृक ज़मीन की हो। कई बार परिवार के लोग इस बात को लेकर उलझ जाते हैं कि कौन इस ज़मीन को बेच सकता है और किसका इस पर हक है। अगर आप भी इसी कन्फ्यूजन में हैं तो आपको इस बारे में पूरी जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि अगर बिना जानकारी के कोई भी फैसला ले लिया गया, तो आगे चलकर बड़ा विवाद हो सकता है। आजकल जब ज़मीन की कीमतें बहुत तेज़ी से बढ़ रही हैं, तब हर किसी को पैतृक संपत्ति से जुड़े नियम समझ लेना चाहिए।

पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति में फर्क क्या है?

सबसे पहले ये समझ लीजिए कि संपत्ति दो तरह की होती है – स्वअर्जित और पैतृक। स्वअर्जित संपत्ति वो होती है जो किसी ने खुद की मेहनत, कमाई या निवेश से खरीदी हो। इसमें वह ज़मीन, मकान या दुकान शामिल है जो किसी ने अपने बलबूते पर ली हो। यहां तक कि अगर किसी ने किसी से संपत्ति गिफ्ट में पाई है या किसी ने अपने अधिकार से खुद को अलग कर दिया है, तो वह भी स्वअर्जित मानी जाती है।

अब बात करते हैं पैतृक संपत्ति की। ये वो संपत्ति है जो आपके पूर्वजों से आपको मिली हो। यानी दादा से पिता को, फिर आप तक पहुंची हो। इस तरह की संपत्ति को एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की साझा संपत्ति माना जाता है। इसलिए इसे लेकर क़ानून भी थोड़ा सख्त होता है।

यह भी पढ़े:
LPG Price Today 1 जून से सस्ता हुआ LPG सिलेंडर? जानिए ताजा रेट – LPG Price Today

चार पीढ़ियों का हक होता है पैतृक ज़मीन पर

पैतृक संपत्ति पर परिवार की चार पीढ़ियों का बराबर हक होता है – दादा, पिता, बेटा और पोता। जैसे ही कोई बच्चा जन्म लेता है, उसे इस संपत्ति में हक मिल जाता है। इसके लिए कोई वसीयत या दस्तावेज़ की ज़रूरत नहीं होती। पहले ये अधिकार सिर्फ बेटों को मिलता था, लेकिन अब बेटियों को भी बराबरी का हक है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बदलाव के बाद बेटियां भी अपने पिता की पैतृक संपत्ति में समान रूप से हिस्सेदार हैं।

इसका सीधा मतलब ये है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वो घर का मुखिया हो या सबसे बुज़ुर्ग सदस्य, अकेले पैतृक संपत्ति को नहीं बेच सकता। हर हकदार की मंजूरी ज़रूरी होती है।

बिना सबकी सहमति के नहीं बिक सकती पैतृक ज़मीन

अगर परिवार में चार भाई हैं, तो चारों की रज़ामंदी के बिना ज़मीन बेचना नामुमकिन है। और अगर परिवार में बेटियां भी हैं, तो उनकी सहमति भी उतनी ही ज़रूरी है। अगर किसी एक सदस्य ने भी मना कर दिया तो ज़मीन की बिक्री कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है। इसलिए सभी की सहमति लेना अनिवार्य है।

यह भी पढ़े:
Fixed deposit interest rate FD निवेशकों के लिए बड़ी खबर, 1 जून से FD ब्याज दरों में हुआ बड़ा बदलाव – Fixed Deposit Interest Rate

हाँ, अगर कोई सदस्य अपने हिस्से को बेचना चाहता है तो वह अदालत से बंटवारा करवा सकता है। कोर्ट के आदेश के बाद जो हिस्सा किसी के नाम आता है, वह व्यक्ति उसे अपनी मर्जी से बेच सकता है। तब वह हिस्सा उसकी स्वअर्जित संपत्ति जैसा ही माना जाता है।

स्वअर्जित संपत्ति पर होता है पूरा अधिकार

अब अगर कोई व्यक्ति खुद की कमाई से कोई ज़मीन या मकान खरीदता है, तो वो उसकी स्वअर्जित संपत्ति होती है। इस पर उसका पूरा अधिकार होता है। वह इसे किसी को भी बेच सकता है, गिफ्ट कर सकता है या दान दे सकता है। जब तक वह जीवित है, उसके बेटे-बेटियों को इस पर कोई अधिकार नहीं होता। स्वअर्जित संपत्ति तभी वारिसों में बंटती है जब मालिक की मृत्यु हो जाए। अगर उसने वसीयत बनाई है तो उसी के मुताबिक संपत्ति बंटेगी, नहीं तो कानून के अनुसार बंटवारा होगा।

बिना सहमति बेची गई ज़मीन पर हो सकती है कानूनी कार्रवाई

अगर कोई सदस्य सभी हकदारों की मंजूरी के बिना पैतृक संपत्ति बेच देता है तो दूसरे सदस्य कोर्ट में इसका विरोध कर सकते हैं। कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है और कोर्ट से इस सौदे को रद्द कराने की मांग की जा सकती है। कोर्ट कई बार बिक्री पर रोक लगा देता है और खरीदार भी मुश्किल में आ जाता है। इसलिए अगर आप कोई पैतृक ज़मीन खरीदने जा रहे हैं, तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि सभी हकदारों ने इस पर सहमति दी है।

यह भी पढ़े:
Senior citizen pension scheme बुजुर्गों के लिए बड़ी राहत: हर महीने पाएं ₹20,500 की तय आमदनी, जानें सरकार की इस स्कीम – Senior Citizen Pension Scheme

क्या करना चाहिए ऐसे मामलों में?

अगर परिवार में पैतृक संपत्ति है और उसे लेकर कोई लेन-देन होना है, तो सबसे अच्छा तरीका यह है कि पहले सभी हकदारों के बीच बंटवारा हो जाए। इसके बाद हर कोई अपने हिस्से पर स्वतंत्र फैसला ले सकता है। इससे न तो कोई विवाद होगा और न ही कानूनी पचड़ों में फंसने का खतरा रहेगा।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। संपत्ति से जुड़ा कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वकील या कानूनी सलाहकार से व्यक्तिगत रूप से सलाह लेना ज़रूरी है। अलग-अलग राज्यों में कानूनों में फर्क हो सकता है, इसलिए स्थानीय नियमों की जांच ज़रूर करें।

यह भी पढ़े:
Da payment 2025 DA पर सरकार का बड़ा फैसला! लाखों कर्मचारियों को मिलेगा बकाया – DA Payment 2025

Leave a Comment